रविवार, 18 मई 2014

इलैक्‍ट्रोनिक पत्रिका

कंप्‍यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन तथा संस्‍थापन ने युग और विधाओं को बदल दिया है। कोई 25 वर्ष पूर्व विद्यार्थी जीवन में जो कभी पत्रिका प्रकाशन के माध्‍यम से संचार की कामना तथा कल्‍पना की थी, आज उसे इस नि:शुल्‍क ब्‍लॉग के माध्‍यम से साकार करने के अवसर का लाभ्‍ा उठाने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा। खेद है तो केवल इस बात का कि जिन के साथ कभी कल्‍पना की गई थी, आज उनकी बजाए नए और अज्ञात व्‍यक्तियों के साथ इसे संचरित करना पड़ रहा है। यही तो काल का प्रभाव है।

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